डिजिटल क्रांति के दौर में भी बैंक शाखाएं बढ़ीं, पर ATMs का विस्तार रुका: क्यों?

आजकल जब हर तरफ डिजिटल पेमेंट कि धूम है,तब एक चौकाने वाला ट्रेंड सामने आया है: बैंक अपनी शाखाएं तो तेजी से बढ़ा रहे हैं, लेकिन एटीएम (Automated Teller Machine) का विस्तार लगभग थम सा गया है। ऐसा क्यों हो रहा है? आइए जानते हैं। 

डिजिटल पेमेंट का बढ़ता चलन और ATM की घटती ज़रूरत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2021 से मार्च 2025 के बीच,सार्वजनिक निजी और अंतरराष्ट्रीय बैंकों के कुल एटीएम की संख्या में नाममात्र कि वृद्धि हुई है। मार्च 2021 में यह आंकड़ा 2,11,332 था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर सिर्फ 2,11,654 हुआ। 

वहीं, इसी दौरान बैंक शाखाओं कि संख्या में काफी इजाफा हुआ है। मार्च 2021 में 1,30,176 शाखाएं थी, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 1,42,359 हो गई है। 

इक्रा (ICRA) के वाइस प्रेसिडेंट सचिन सचदेव बताते हैं कि "डिजिटल भुगतान के प्रति ग्राहकों के बढ़ते रुझान और मोबाईल या इंटरनेट बैंकिंग को बढ़ावा देने के कारण देने के कारण एटीएम की मांग कम हो गई है। उनका कहना है कि अब एटीएम कि जरूरत बैंक शाखाओं कि जरूरत अलग हो गई है। 

ATM चलाना हुआ महंगा, UPI का बढ़ता इस्तेमाल

उद्योग के जानकारों का कहना है कि एटीएम को चलाना बैंकों के लिए काफी महंगा सौदा है। इसके रखरखाव, नगदी प्रबंधन और कैसेट बदलने जैसे खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI) का इस्तेमाल बढ़ाने से एटीएम पर होने वाले लेनदेन भी कम हो गए हैं, जिससे एटीएम की जरूरत घट रही है। 

फिंडी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी दीपक वर्मा के अनुसार,"भारत में एटीएम कि तस्वीर ग्राहकों के बदलते व्यवहार और बैंकों कि प्राथमिकताओं के हिसाब से बदल रही है। बैंक अब कम लागत और ज्यादा सहूलियत के लिए डिजिटल चैनलों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, खासकर शहरी इलाकों में ।"

ग्रामीण इलाकों में शाखाओं का महत्व बरक़रार

हालांकि,वर्मा यह भी बताते हैं कि नगद कि मांग अभी भी पूरी तरह कम नहीं हुई है,खासकर मझोले शहरों,कस्बों और गावों में जहां देश कि लगभग 60%आबादी रहती है। इन इलाकों में डिजिटल भुगतान कि पैठ अभी उतनी ज्यादा नहीं है, इसलिए एटीएम और बैंक शाखाओं कि मांग बनी हुई है। 

आरबीआई के आंकड़ों से भी यह बात पुष्ट होती है कि FY24-25 में एटीएम से ₹30.6 लाख करोड़ की नकद निकासी हुई, जो FY2019-20 के ₹28.89 लाख करोड़ से ज़्यादा है।

बीसीजी इंडिया के लीडर यशराज बताते हैं कि अब बैंकों के लिए एटीएम और शाखाएं अलग-अलग चीजें है। पहले एटीएम को शाखाओं का ही विस्तार माना जाता था, लेकिन अब बैंक ग्रामीण इलाकों में अपनी शाखाएं बढ़ाकर ग्राहक सेवा और जमा जुटाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जहां सीधे संपर्क कि ज्यादा जरूरत होती है।