भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने शुक्रवार को बाजार पर दबाव डाला, जिससे निवेशकों ने मुनाफावसूली की। इस कारण बेंचमार्क सूचकांकों में गिरावट दर्ज हुई और सप्ताह की शुरुवाती बढ़त कुछ कम हो गयी। 

सेंसेक्स 589 अंकों यानि 0.74%की गिरावट के साथ 79,213 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी भी 207 अंकों यानी 0.9% की नरमी के साथ 24,039 पर टीका। हालांकि सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बावजूद आई इस गिरावट के बावजूद, घरेलू सूचकांक पूरे सप्ताह में 0.8% की बढ़तदर्ज करने में सफल रहें । उल्लेखनीय है की आमेरिका -चीन व्यापार तनाव में कमी के चलते शुक्रवार को अधिकांश वैश्विक बाज़ारों में तेजी का रुख था। 

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के संभावित आर्थिक प्रभावों को लेकर निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जिसके चलते वे अपने निवेश से मुनाफा निकाल रहे हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि बाजार इस महीने के निचले स्तर से लगभग 10 फीसदी तक चढ़ चुका है। कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख वरुण लोचब ने इस गिरावट को प्रत्याशित बताते हुए कहा कि हालिया तेजी के बाद मुनाफावसूली स्वाभाविक थी, भले ही कोई नकारात्मक खबर न हो। उन्होंने इस साल बाजार में 10 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद जताई और कहा कि हालिया तेजी में इसका अधिकांश हिस्सा हासिल कर लिया गया है। लोचब का मानना है कि बाजार में इस तरह का उतार-चढ़ाव आगे भी जारी रहेगा और वर्तमान स्तरों से ऊपर और नीचे की ओर सीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऊंचे मूल्यांकन और कमजोर आय वृद्धि के कारण तेजी की संभावना सीमित है, हालांकि मजबूत घरेलू निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा बड़ी निकासी की कम संभावना बाजार को बड़ी गिरावट से बचा सकती है।

आगे चलकर, बाजार की दिशा तिमाही के शेष परिणाम, व्यापार शुल्क वार्ताएं और भारत-पाकिस्तान के बीच भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारकों से प्रभावित होगी। शुक्रवार के कारोबारी सत्र में एफपीआई ने 2,952 करोड़ रुपये के शुद्ध शेयर खरीदे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,540 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने निकट भविष्य में गिरावट का जोखिम जताया है, क्योंकि निवेशक "इंतजार करो और देखो" की रणनीति अपना रहे हैं। हालांकि, उन्होंने भारतीय बाजार की बाहरी और भू-राजनीतिक अस्थिरता के दौरान लचीली प्रकृति को देखते हुए दीर्घकालिक निवेशकों के लिए इसे निवेश का अच्छा अवसर बताया है।

बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा, जहां केवल 689 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए, जबकि 3,285 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में भी 2.5-2.5 फीसदी की significant गिरावट आई। इसके विपरीत, निफ्टी आईटी इस सप्ताह का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला इंडेक्स रहा, जिसमें लगभग 7 फीसदी की तेजी आई, जो 7 जून के बाद इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त है। यह उछाल कुछ प्रमुख कंपनियों द्वारा उम्मीद से बेहतर आय अनुमानों के कारण आया।