सालों का इंतज़ार और बढ़ा: NSE IPO मार्च 2026 से पहले नहीं आएगा, को-लोकेशन और डार्क फाइबर केस बनी वजह!
देश के सबसे बड़े शेयर बाजार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का बहुप्रतीक्षित आईपीओ अभी और भी लंबा इंतजार करवा सकता है। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक,एनएसई का आईपीओ मार्च 2026 से पहले आने की संभावना बेहद कम है। भले ही एनएसई को जुलाई 2025 में सेबी से NOC (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) मिल जाए, फिर भी IPO लॉन्च होने में कम से कम 8-9 महीने लग सकते हैं। इसकी मुख्य वजह को-लोकेशन और डार्क फाइबर से जुड़े दो पुराने मामले हैं। हालांकि, NSE ने 20 जून को इन मामलों को सुलझाने के लिए ₹1,388 करोड़ की बड़ी रकम सेटलमेंट के तौर पर जमा की है।
NSE के CEO ने बताई देरी की वजह
एनएसई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ आशीष चौहान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि ,"हमने सेबी को NOC के लिए आवेदन दे दिया है। NOC मिलने के बाद, DRHP ( ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) तैयार करने में 3-4 महीने और सेबी की समीक्षा में 2-3 महीने और लगेंगे। कुल मिलकर आईपीओ,NOC मिलने के बाद ही आ सकता है।" यह बयान सीधे तौर पर आईपीओ में और देरी के संकेत देता है।
क्यों है NSE के IPO का बेसब्री से इंतजार?
NSE का आईपीओ लंबे समय से निवशकों के रडार पर है, और इसकी वजह साफ है:
- ग्लोबल लीडरशिप: NSE दुनिया का सबसे बड़ा मल्टी-एसेट एक्सचेंज है। इक्विटी और डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में यह न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी अग्रणी बन चुका है।
- मजबूत मार्केट शेयर: वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में, NSE का भारतीय बाजार में 93.6% शेयर कैश मार्केट में, 99.9% शेयर इक्विटी फ्यूचर्स में, और 87.4% शेयर इक्विटी ऑप्शंस में था। फॉरेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में भी इसका हिस्सा क्रमशः 93.6% और 99.7% तक पहुंच चुका है।
- शानदार वित्तीय प्रदर्शन: FY25 में NSE का ऑपरेशनल रेवेन्यू ₹17,141 करोड़ रहा (पिछले साल से 16% ज्यादा), और नेट प्रॉफिट ₹12,188 करोड़ दर्ज किया गया, जिसमें 47% की सालाना ग्रोथ दिखी। कंपनी का EBITDA मार्जिन 74% और PAT मार्जिन 58% रहा, जबकि EPS ₹49 और RoE 45% रहा।
IPO में निवेश करना कितना सही?
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, एनएसई का बाजार पर दबदबा और इसकी मजबूत वित्तीय स्थिति इसे एक दमदार कैपिटल मार्केट प्ले बनाती है। भारत में अभी भी खुदरा निवेशकों की भागीदारी केवल 3-4% है, जबकि अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में यह 55-60% तक है। यह दर्शाता है कि NSE के पास भविष्य में ग्रोथ की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं।
हाल ही में लागू F&O (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) नियमों के चलते ट्रेडिंग वॉल्यूम में कुछ गिरावट आई थी, लेकिन अब इनमें सुधार दिखने लगा है। फरवरी 2025 में ऑप्शन प्रीमियम का औसत टर्नओवर ₹47,900 करोड़ था, जो अप्रैल 2025 तक बढ़कर ₹58,200 करोड़ तक पहुंच गया है।
ग्रे मार्केट में NSE के शेयर का हाल
अनलिस्टेड ग्रे मार्केट में NSE के शेयर मई के ₹2,400 से गिरकर जून में ₹2,285 प्रति शेयर पर आ गए हैं। पिछले 52 हफ्तों में यह ₹6,200 के उच्चतम और ₹1,625 के निम्नतम स्तर को छू चुके हैं। फिलहाल, NSE की कुल मार्केट वैल्यू ₹5.65 लाख करोड़ आंकी गई है