भारतीय ई-कॉमर्स शेयरों में बंपर उछाल: स्विगी, ब्लिंकिट और ज़ेप्टो ने चीन को पछाड़, मुनाफे की दौड़ में पकड़ी रफ्तार!
भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर इस समय तेजी से बढ़ रहा है, खासकर क्विक-कॉमर्स मार्केट मवेन स्विगी ब्लिंकिट (Blinkit) और ज़ेप्टो (Zepto) जैसी कंपनियों ने मज़बूत पकड़ बना ली है। पिछले एक महीने से भारत कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के शेयरों ने जबरदस्त तेजी दिखाई है। स्विगी के शेयरों में 20 फीसदी कि बढ़त हुई, जबकि ज़ोमैटो (Zomato) की मालिकी वाली ईटरनल लिमिटेड (Eternal Limited) के शेयर 11 फीसदी चढ़े। यह तेज़ी ऐसे समय में आई है जब चीन जैसे देशों में डिलीवरी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
भारत में क्यों दिख रही तेज़ी?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पहले से मौजूद कंपनियों के पास मजबूत सप्लाई नेटवर्क और डिलीवरी मैनेजमेंट है। यही वजह है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे नए ग्लोबल प्लेयर्स के लिए भी मुकाबला आसान नहीं है। फिस्डम (Fisdom) के रिसर्च हेड, नीरव कारकेरा कहते हैं, "स्विगी जैसी कंपनियां डिलीवरी खर्च को बहुत अच्छे से मैनेज कर पा रही हैं।"
क्विक-कॉमर्स का उभरता बाज़ार और मुनाफे पर फोकस
ब्लूमबर्ग के अनुसार,भारत में क्विक-कॉमर्स मार्केट 2030 तक 100 अरब डॉलर (₹8.3 लाख करोड़) का हो सकता है। इस सेक्टर में किराना, पर्सनल केयर जैसे जरूरी समान 10 मिनट में डिलीवर किए जाते हैं। इस समय ब्लिंकिट( ईटरनल कि यूनिट) स्विगी कि इंस्टामार्ट और ज़ेप्टो मिलकर करीब 88% मार्केट पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं। इन कंपनियों ने देशभर में वेयरहाउस और "डार्क स्टोर्स" में भारी निवेश किया है, जिससे शुरुआती मुनाफे पर कुछ दबाव रहा।
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल पुराने प्लेयर्स अपनी सेवाओं में नए चार्जेस लगाकर और बड़े ऑर्डर को बढ़ावा देकर मुनाफा कमाने कि ओर बढ़ रहे हैं। डिस्काउंट में भी अब ज्यादा अनुशासन देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लिंकिट और इंस्टामार्ट दोनों के घाटे अब चरम पर पहुंच चुके हैं और अब सुधार की उम्मीद है।
नई चुनौतियां और आगे का रास्ता
हालांकि, जेप्टो ने इंस्टामार्ट से कुछ मार्केट शेयर छिन लिया है। वहीं स्विगी अभी भी मुनाफे में नहीं है, लेकिन एनालिस्ट्स का भरोसा इस पर बढ़ रहा है। 2024 के अंत में लिस्टिंग के बाद से इस पर सबसे ज्यादा 'बाय' (BUY) रेटिंग्स दी गई हैं। जेप्टो भी जल्द ही आईपीओ लाने कि तैयारी में है, जिससे ईटरनल और स्विगी के निवेश पर थोड़ा असर पड़ सकता है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ते बाजार में सभी प्लेयर्स के पास ग्रोथ का मौका है।
सीएलएसए (CLSA) के विश्लेषक आदित्य सोमन कहते हैं, "छूट कम करने और डिलीवरी शुल्क लगाने के बावजूद भी बड़ी कंपनियां अपने यूज़र्स और नेटवर्क में बढ़त बनाए हुए हैं। क्विक-कॉमर्स में बड़ा अवसर है और इसमें नए प्लेयर्स के लिए भी जगह है।"