भारतीय शेयर बाजार की रिकवरी: घरेलू निवेश ने संभाला, क्यों बना हुआ है 'प्रीमियम'?
अप्रैल के निचले स्तरों से भारतीय शेयर बाजार ने तेजी से वापसी की है, जिसके पीछे तीन मुख्य कारण रहे:
- आरबीआई की नीति : फरवरी 2025 में आरबीआई की मौद्रिक नीति में बदलाव ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।
- घरेलू खरीदारी : आकर्षक कीमतों पर आए बड़े शेयरों ने घरेलू निवेशकों को फरवरी और मार्च में खरीदारी के लिए प्रेरित किया,जबकि विदेशी निवेशक बेच रहे थे।
भारत की वैश्विक मजबूती : अमेरिकी नीतिगत बदलावों से वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिरता ने उसे अलग पहचान दी।
FPI प्रवाह और 'प्रीमियम' मूल्यांकन
मार्गन स्टेनली के रिघम देशाई बताते हैं कि भारत का बाजार अब मुख्य रूप से घरेलू निवेशकों द्वारा संचालित है, जो 2015 से लगातार खरीदारी कर रहें हैं। इसी वजह से विदेशी निवेशकों (FPIs) के लिए खरीदारी की गुंजाइश कम बची है, जब तक वे ऊंची कीमतों पर दांव न लगाएं।
देशाई के अनुसार, भारत का प्रीमियम मूल्यांकन सिर्फ घरेलू निवेश के कारण नहीं है। यह 2002-2003 से ही चला आ रहा है और भारतीय कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट व पूंजी पर लगातार बेहतर रिटर्न के कारण उचित है।
अमेरिकी व्यापार नीतियों का असर और सेक्टोरल आउटलुक
अमेरिकी व्यापार नीतियों से भारत पर सीधा प्रभाव सीमित होगा (अमेरिका-भारत व्यापार GDP का केवल 2%है)। हालांकि वैश्विक विकास में गिरावट आने से भारत अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगा, क्योंकि इसका 20% GDP वैश्विक जुड़ाव पर निर्भर करता है। इसी के चलते आय के अनुमानों में कुछ कटौती की गई है। मजबूत रहने वाले क्षेत्रों में फाइनेंशियल, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और इंडस्ट्रियल शामिल हैं। वहीं सॉफ्टवेयर सेवाएं, ऊर्जा और सामग्री (सीमेंट छोड़कर ) जैसे क्षेत्रों को आय में कटौती का सामना पड़ सकता है। अगले 12 महीनों में 14-15% आय वृद्धि की उम्मीद है।
यह विश्लेषण दर्शाता है कि भारतीय बाज़ार की मौजूदा मजबूती घरेलू निवेशकों के बढ़ते भरोसे और कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन पर आधारित है, भले ही वैश्विक चुनौतियां बनी हुई हैं।