भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। McKinsey & Company की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 9 उभरते हुए सेक्टर 2023 तक देश को वैश्विक स्तर पर 588 से 738 अरब डॉलर की कमाई 2023 के मुकाबले करीब साढ़े तीन गुना ज्यादा होगी, जब इन सेक्टरों की कुल कमाई 164 से 206 अरब डॉलर के बीच थी। रिपोर्ट बताती है कि यह जबरदस्त ग्रोथ भारत की अपनी खास क्षमताओं से आएगी, जिसमें तेजी से रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D), पेटेंटस की बढ़ती संख्या और तकनीकी अपनाने की तेज गति शामिल है। 

ये 9 सेक्टर बदलेंगे भारत की तस्वीर

McKinsey के अनुसार, ये 9 सेक्टर भारत की कमाई को रॉकेट की रफ्तार दे सकते हैं:

  • ई-कॉमर्स
  • सेमीकंडक्टर
  • क्लाउड सर्विसेज़
  • साइबरसिक्योरिटी
  • इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी
  • AI सॉफ्टवेयर और सर्विसेज
  • स्पेस (अंतरिक्ष)
  • न्यूक्लियर फिज़न (नाभिकीय विखंडन)
  • रोबोटिक्स

इन सेक्टरों का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि इनमें या तो पेटेंटस की संख्या बाकी सेक्टरों से दोगुनी है या फिर इन पर होने वाला R&D खर्च औसत से दोगुना है, जो इनकी उच्च विकास क्षमता को दर्शाता है। 

कौन सा सेक्टर देगा सबसे ज़्यादा कमाई?

  • ई-कॉमर्स: कमाई का सबसे बड़ा इंजन : 2023 में भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 60 से 70 अरब डॉलर का था। अनुमान है कि 2023 तक यह 240 से 300 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा- यानी चार गुना बढ़ोतरी McKinsey का कहना है कि 2030 तक ई-कॉमर्स  अकेले इन 9 सेक्टरों की कुल कमाई का हिस्सा देगा। 
  • सेमीकंडक्टर: तीन गुना उछाल की उम्मीद

भारत में कई सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स शुरू हो चुके हैं। इस सेक्टर की कमाई 2023 में 40-50 अरब डॉलर थी, जो 2023 तक 100 से 120 अरब डॉलर तक पहुचने का अनुमान है। 

  • AI और क्लाउड सर्विसेज़: बेमिसाल ग्रोथ 

AI आधारित सॉफ्टवेयर और सर्विसेज की ग्रोथ 5 से 8 गुना हो सकती है। अब तक भारत की 77,000 से ज्यादा कंपनियां Microsoft Copilot जैसे AI टूल्स को अपना चुकी हैं। Agentic AI और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी के चलते क्लाउड सर्विसेज की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है, जो 2023 से 2030 के बीच 4 से 5 गुना बढ़कर 70-80 अरब डॉलर तक जा सकती है। 

  • EV सेक्टर: उड़ान भरने को तैयार

इलेक्ट्रिक वहाँ और बैटरी सेक्टर भी 6 से 8 गुना की तेजी पकड़ सकता है। McKinsey का मानना है कि इस सेक्टर की कमाई 2030 तक 40 से 60 अरब डॉलर तक जा सकती है।

  • स्पेस और न्यूक्लियर सेक्टर: छिपे हुए हीरो

सरकार की कोसिशों से स्पेस सेक्टर में भी बड़ी छलांग की उम्मीद है। 2030 तक इसकी कमाई 4 से 5 गुना बढ़ सकती है। इसी तरह, न्यूक्लियर फिजन (नाभिकीय विखंडन) में भी रेवेन्यू चार से पाँच गुना बढ़ने का अनुमान है। इन दोनों सेक्टरों में भारी निवेश की ज़रूरत होती है। न्यूक्लियर में कुल रेवेन्यू का 8-10% R&D पर खर्च होता है, जबकि स्पेस में यह 4% तक है, जो कि इंडस्ट्री के औसत 2% से काफी ज्यादा है।

यह रिपोर्ट भारत के भविष्य के लिए एक बहुत ही आशावादी तस्वीर पेश करती है, जिसमें ये उभरते हुए सेक्टर देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।