क्या बाज़ार फँस गया है सीमित दायरे में? रेंज-बाउंड मार्केट में ऐसे करें ट्रेडिंग और निवेश: एक्सपर्ट टिप्स
भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को उतार-चढ़ाव दिखा, लेकिन अंत में यह हरे निशान में बंद हुआ। मंगलवार की गिरावट के बाद यह एक तरह का ठहराव माना जा सकता है।शुरुआती तेजी के बाद निफ्टी सीमित दायरे में घूमता रहा और 24,612 के स्तर पर बंद हुआ। सेक्टोरल मोर्चे पर मिला-जुला रुख रहा, जहां मेटल्स और एनर्जी शेयरों में तेजी दिखी, वहीं रियल्टी और फाइनेंशियल सेक्टर दबाव में रहे। इस सेशन की खास बात यह थी की मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.7% से 0.8% तक की बढ़त के साथ ब्राडर मार्केट में मजबूत दिखी। हालांकि, गुरुवार को बाजार ने इस दायरे को तोड़ते हुए बढ़त दर्ज की, जिससे सेंसेक्स -निफ्टी में उछाल देखने को मिला। बाजार के बदलते मूड -माहौल में ट्रेडिंग और निवेश को लेकर मास्टर कैपिटल सर्विसेज में असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट (रिसर्च एंड एड्वाइजरी ) विष्णु कान्त उपाध्याय ने कुछ अहम सलाहें दी हैं।
रेंज-बाउंड मार्केट में निवेशकों की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
विष्णु कांत उपाध्याय के अनुसार, रेंज-बाउंड मार्केट में ट्रेडर्स और निवेशकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती 'स्पष्ट दिशा की कमी' होती है। यह स्थिति अक्सर असमंजस पैदा करती है और ट्रेडिंग में अनिश्चित परिणाम देती है। रेंज की शुरुआत से पहले के ट्रेंड को समझना यहाँ बेहद ज़रूरी होता है
निवेशक क्या स्ट्रैटेजी अपनाएँ?
रेंज- बाउन्ड बाजार में सफल रणनीति अपनाने के लिए ट्रेडर्स को बाजार में रेंज की शुरुआत से पहले के ट्रेंड को समझना चाहिए, ताकि सही स्ट्रेटेजी चुनी जा सके।
- सक्रिय ट्रेडर्स के लिए: सपोर्ट के पास खरीदारी और रेसिस्टेंस के पास मुनाफावसूली (profit-booking) जैसी रेंज-ट्रेडिंग रणनीति कारगर हो सकती है। इसके साथ ही, वॉल्यूम एनालिसिस और प्राइस एक्शन पर ध्यान देना ट्रेडिंग टाइमिंग और रिस्क मैनेजमेंट में मदद करता है।
कंजर्वेटिव ट्रेडर्स के लिए: ऐसे ट्रेडर्स को धैर्य रखना चाहिए और तब तक नई पोज़िशन से बचना चाहिए जब तक कि रेंज से स्पष्ट ब्रेकआउट (breakout) वॉल्यूम के साथ न दिखे।
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए ब्रेकआउट का समय क्या है?
रेंज-बाउंड बाज़ार लंबे समय के निवेशकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत देता है:
- यह या तो ट्रेड में ब्रेक के बाद की कंसोलिडेशन फेज हो सकती है, या कमजोरी का संकेत भी।
- अगर यह फेज किसी मजबूत तेजी के बाद आता है,तो इसे हेल्दी कंसोलिडेशन माना जा सकता है। ऐसे समय में निवेशक अच्छे स्टॉक्स को रेंज के निचले स्तर पर धीरे -धीरे जमा कर सकते हैं।
- वहीं, अगर यह रेंज किसी लंबी गिरावट के बाद बन रही है, तो यह संभावित कमजोरी का संकेत हो सकती है। ऐसे मामलों में निवेशकों को तब तक इंतज़ार करना चाहिए जब तक कि बॉटम फॉर्मेशन या रेसिस्टेंस ब्रेकआउट के स्पष्ट संकेत न मिलें।