भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती तनातनी का असर आखिरकार शुक्रवारकों को भारतीय शेयर बाज़ारों पर खुलकर दिखा। पहले शांत के बाद, सेंसेक्स और निफ्टी में एक प्रतिशत से ज्यादा की बड़ी गिरावट दर्ज की गई । सेंसेक्स 880अंको की भरी गिरावट के साथ 79,454 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी 266 अंक फिसलकर 24,008पर टीका। क्रोबर के दौरान तो दोनों इंडेक्स और भी नीचे गिर गए थे।
इस भू -राजनीतिक तनाव के चलते विदेशी निवेशकों ने भी बिकवाली का रुख अपनाया और करीब 3,800 करोड़ रुपए के शेयर बेच डाले, जिससे उनकी लगातार खरीददारी का सिलसिला थम गया। विश्लेषकों का मानना है की, सीमा पर बढ़ते संघर्ष के संभावित आर्थिक नुकसान को लेकर निवेशक चिंतित है। कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत की कारवाई और उसके बाद सीमा पर जारी तनाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।
सीएलएसए ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है की सीमावर्ती राज्यों में कई महत्वपूर्ण आर्थिक संपत्तियाँ मौजूद हैं, जिनमें बड़े निवेश शामिल हैं । अगर यह तनाव लंबा खिचता है तो सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े प्रोजेक्ट्स में देरी हो सकती है। इसका असर पावर ग्रिड और अन्य कंपनियों के शेयरों पर दिखा, जिनमें 2 से 3 प्रतिशत तक की गिरावट आई। इस गिरावट के चलते बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप भी 7.7लाख करोड़ रुपये कम हो गया। बाजार की घबराहट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की एनएसई का वोलैटिलिटी इंडेक्स (विक्स ) लगातार बढ़ रहा है, जो निवेशकों की बढ़ती चिंता को दर्शाता है। ज़्यादातर सेक्टर इंडेक्स लाल निशान में बंद हुये, जिसमे वित्तीय , एफएमसीजी और आईटी सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। हालांकि वैश्विक बाज़ारों में ब्रिटेन -अमेरिका व्यापार समझौते और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता की सकारात्म खबरों के चलते तेजी देखी गई, लेकिन सीमा पर तनाव के कारण भारतीय बाज़ारों का प्रदर्शन कमजोर रहा। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने जरूर कुछ सहारा दिया, लेकिन खुदरा निवेशकों की चिंता साफ दिखाई दे रही है।