फार्मा सेक्टर का सबसे बड़ा सौदा: टॉरंट फार्मा ने ₹25,689 करोड़ में किया जेबी फार्मा का अधिग्रहण

भारतीय दवा बाजार के हाल के वर्षों के सबसे बड़े सौदों में से एक को अंजाम देते हुए, अहमदाबाद स्थित टॉरंट फार्मास्युटिकल्स ने जेबी केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स (जेबी फार्मा) में नियंत्रण योग्य हिस्सेदारी ₹25,689 करोड़ के इक्विटी मूल्यांकन पर हासिल करने की घोषणा की है। यह अधिग्रहण निवेश फर्म केकेआर से किया जाएगा, जिसके बाद दोनों कंपनियों का विलय होगा। 

सौदे का विवरण और केकेआर का मुनाफा

यह सौदा दो चरणों में पूरा किया जाएगा, पहले चरण में टॉरंट फार्मा केकेआर की जेबी फार्मा में 46.39% हिस्सेदारी का अधिग्रहण ₹1,600 प्रति शेयर के भाव पर करेगी, जिसकी कुल कीमत ₹11,917 करोड़ होगई। इसके बाद, दूसरे चरण में, जेबी फार्मा की 26% हिस्सेदारी के लिए आम शेयरधारकों के लिए ₹1,639.18 प्रति शेयर के भाव पर खुली पेशकस की जाएगी। टॉरंट ने जेबी फार्मा के कुछ कर्मचारियों से भी 2.8% हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है, जिसके लिए केकेआर के समान कीमत होगी। 

गौरतलब है कि केकेआर ने जुलाई 2020 में जेबी फार्मा के प्रवर्तकों और संस्थापकों से 54% हिस्सेदारी लगभग ₹3,100 करोड़ (₹745 प्रति शेयर) में खरीदी थी। इस साल मार्च में केकेआर ने एक थोक सौदे के जरिए ₹1,459.8 करोड़ के शेयर बेचे। इस सौदे से केकेआर को अपने निवेश पर 5 गुना से अधिक का फायदा हुआ है। 

टॉरंट फार्मा के लिए रणनीतिक लाभ

टॉरंट फार्मा का मानना है कि यह अधिग्रहण उसे एक विविध स्वास्थ्य देखभाल प्लेटफ़ॉर्म तैयार करने में मदद करेगा। जेबी फार्मा औषधीय एवं जड़ी बूटी आधारित दवा बनाने वाली दुनिया की शीर्ष पाँच कंपनियों में शुमार है। टॉरंट फार्मा ने कहा की इस सौदे से घरेलू दवा बाजार में उसकी उपस्थिति मजबूत होगी और विभिन्न कारोबारी खंडों में उसे तालमेल बैठाने में भी मदद मिलेगी। कंपनी ने पहले वित्त वर्ष 2026 तक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) की संख्या में 23% इजाफा करने की योजना बनाई थी, और यह अधिग्रहण इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा। 

वर्तमान में, टॉरंट फार्मा की घरेलू दवा बाजार में 3.74% हिस्सेदारी है, जबकि जेबी फार्मा की हिस्सेदारी 1.12% है। यह अधिग्रहण प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कारोबार संगठित होने से कारोबार विस्तार में भी मदद करेगा।

जेबी फार्मा की मजबूत वृद्धि

जेबी फार्मा के मुख्य कार्याधिकारी एवं पूर्णकालिक निदेशक निखिल चोपड़ा ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में उनकी कंपनी भारत की सबसे तेजी से उभरती  कंपनियों में से एक रही है। वित्त वर्ष 2025 में, कंपनी का राजस्व 12% की वृद्धि के साथ ₹3,918 करोड़ रहा। कंपनी क आय 16% की वृद्धि के साथ 1,087 करोड़ रही, जबकि करोनोपरांत मुनाफा 19% बढ़कर ₹660 करोड़ हो गया।

यह अधिग्रहण भारतीय फार्मा सेक्टर में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। क्या इस विलय का भारतीय दवा बाजार पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?