आज के दौर में विभिन्न जरूरतों जैसे घर, कार , शिक्षा, व्यवसाय या व्यक्तिगत खर्चों के लिए लोन लेना एक सामान्य प्रक्रिया बन गयी है। बैंक और गैर -बैंकिंग बित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफ़सीएस) ये लोन उपलब्ध करती है। हालांकि जीवन में आर्थिक संकट और अन्य परिस्थितियों के कारण लोन की मासिक किस्त (EMI) चुकाना मुश्किल हो जाता है।
जब कोई ग्राहक समय पर EMI नहीं चुका पाता है ,तो बैंक या NBFC बकाया राशि की वसूली के लिए कदम उठाते हैं। इसी परकीय के तहत वे " रिकवरी एजेंट्स " को नियुक्त करते है। इनका कार्य ग्राहकों से मिल कर बकाया राशि को वसूलना होता है । लेकिन अक्सर ये देखा गया है की कुछ एजेंट वसूली के दौरान ग्राहकों के साथ अनुचित व्यवहार करते हैं। इसी समस्या से निपटने और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सख्त नियम और दिशा निर्देश जारी किए हैं।
आरबीआई द्वारा "रिकवरी एजेंट्स के लिए निर्धारित नियम
RBI ने यह सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए हैं कि वसूली प्रक्रिया मानवीय और नैतिक हो। इन नियमों का पालन करना सभी बैंकों, NBFCs और उनके द्वारा नियुक्त रिकवरी एजेंट्स के लिए अनिवार्य है:
एजेंट की पहचान और प्राधिकरण :
- ग्राहक से संपर्क करते समय एजेंट को तुरंत अपनी पहचान बतानी होगी।
- एजेंट के पास संबन्धित बैंक /NBFC द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र (ID CARD) और एक अधिकार पत्र ( Authorization Letter) होना चाहिए , जिसमें यह स्पष्ट लिखा हो की उसे आपसे बकाया वसूलने की लिए अधिकृत किया गया है ।
आपको यह अधिकार है कि आप इन दस्तावेजों को देखने कि मांग करें और इनकी पुष्टि करें । बिना वैध पहचान और अधिकार पत्र के किसी भी व्यक्ति से लोन संबंधी बात करने से अप इंकार कार सकते हैं।
ग्राहक से संपर्क का समय
- आरबीआई ने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है कि रिकवरी एजेंट ग्राहक से केवल सुबह 8:00 बजे से शाम 7:00 बजे के बीच ही संपर्क कर सकते हैं।
इस समय सीमा के बाहर , यानि देर रात या सुबह जल्दी, काल करना या घर आना नियमों का उलंघन हैं। छुट्टियों या सार्वजनिक अवकाश के दिन भी बिना आपकी पूर्व सहमति के संपर्क नहीं किया जा सकता।
संपर्क का स्थान:
घर पर मुलाकात: एजेंट आपके घर आ सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले आपसे पूर्व सूचना देकर आपसी सहमति से समय निर्धारित करना होगा। वे अचानक या बिना बताए आपके घर नहीं आ सकते।
कार्यस्थल पर संपर्क: RBI ने स्पष्ट रूप से रिकवरी एजेंट्स को ग्राहक के कार्यस्थल (ऑफिस/दुकान/फैक्ट्री) पर जाने या संपर्क करने से मना किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे ग्राहक की सामाजिक प्रतिष्ठा और पेशेवर छवि को नुकसान पहुँच सकता है। अगर कोई एजेंट आपके ऑफिस आकर हंगामा करता है या सहकर्मियों के सामने लोन की बात करता है, तो यह नियमों का गंभीर उल्लंघन है।एजेंट का व्यवहार और आचरण:
- एजेंट को ग्राहक के साथ विनम्र, सम्मानजनक और पेशेवर तरीके से व्यवहार करना होगा।
- किसी भी प्रकार की धमकी (शारीरिक या मौखिक), डराना, गाली-गलौज करना, अपमानजनक भाषा का प्रयोग करना, या बल प्रयोग करना पूरी तरह से प्रतिबंधित और गैर-कानूनी है।
- एजेंट ग्राहक पर अनुचित दबाव नहीं बना सकते, जैसे संपत्ति बेचने या किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करना।
- लगातार फोन कॉल करके या संदेश भेजकर मानसिक रूप से परेशान करना भी नियमों के खिलाफ है।
ग्राहक की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाली कोई भी हरकत (जैसे पड़ोसियों या रिश्तेदारों के सामने चिल्लाना) वर्जित है।
शिकायत निवारण का अधिकार (Right to Grievance Redressal):
- अगर आपको लगता है कि रिकवरी एजेंट RBI के नियमों का उल्लंघन कर रहा है या आपके साथ दुर्व्यवहार कर रहा है, तो आपको शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है। इसके लिए कई स्तर हैं:
- बैंक/NBFC: सबसे पहले संबंधित बैंक या NBFC के शिकायत निवारण अधिकारी (Nodal Officer/Grievance Redressal Officer) के पास लिखित शिकायत दर्ज करें और उसकी पावती (acknowledgement) लें।
- RBI बैंकिंग लोकपाल (Ombudsman): अगर बैंक 30 दिनों के भीतर आपकी शिकायत का समाधान नहीं करता है या आप उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप RBI के बैंकिंग लोकपाल के पास ऑनलाइन या ऑफलाइन निःशुल्क शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- पुलिस: यदि एजेंट आपराधिक धमकी (IPC धारा 506), अपमानजनक भाषा या हरकतें (विशेषकर महिलाओं के प्रति - IPC धारा 509), या बल प्रयोग करता है, तो आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा सकते हैं।
- उपभोक्ता अदालत (Consumer Court): बैंक या NBFC की सेवाओं में कमी (जैसे अनुचित वसूली प्रक्रिया) के लिए आप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता अदालत में भी शिकायत कर सकते हैं।
- सिविल कोर्ट: गंभीर मामलों में, आप वकील की सलाह लेकर सिविल कोर्ट में निषेधाज्ञा (injunction) के लिए आवेदन कर सकते हैं, ताकि एजेंट्स को आपको परेशान करने से रोका जा सके।