ब्याज दर में कटौती और सुस्त ऋण वृद्धि से बैंकों के मुनाफे पर दबाव, Q1 FY26 में आय घटने की आशंका
भारतीय बैंकों के लिए वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) चुनौतीपूर्ण रहा है। ब्याज दरों में कटौती और ऋण वृद्धि में सुस्ती के कारण बैंकों की आय और मार्जिन में गिरावट आने की आशंका है। विश्लेषकों का अनुमान है कि सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 4.7 गिर सकता है, जबकि क्रमिक आधार पर कर के बाद लाभ (PAT) में 2.2% की गिरावट आ सकती है।
ब्लूमबर्ग द्वारा 18 सूचीबद्ध बैंकों के आंकड़ों के संकलन से पता चलता है कि इस तिमाही में शुद्ध ब्याज आय (NII) में मात्र 2.2% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। NII बैंक द्वारा अर्जित ब्याज और चुकाए गए ब्याज के बीच का अंतर होता है।
घटते मार्जिन और लागत का असर
इक्रा (ICRA) के वित्तीय क्षेत्र रेटिंग्स के को-ग्रुप प्रमुख अनिल गुप्ता ने बताया कि सुस्त ऋण वृद्धि का सीधा असर शुद्ध ब्याज आय पर पड़ रहा है, जिससे मार्जिन कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "बैंकों ने बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों पर रिपो दर में कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को दे दिया है। ऐसे ऋण कुल ऋण बही-खाते के लगभग 42% हैं, और इससे उनकी ब्याज आय पार सीधा प्रभाव पड़ रहा है।"
गुप्ता ने यह भी बताया कि बैंकों ने सावधि जमा (FD) और बचत खातों पर दरें तो घटा दी हैं, लेकिन देनदारियों की निश्चित प्रकृति के कारण उन्हें इसका लाभ देर से मिलेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू सावधि जमा पर औसत दर जून 2024 के 7% से थोड़ी बढ़कर मई 2025 में 7.07% हो गई, जबकि इसी अवधि में बकाया रुपये ऋण पर भारित औसत ऋण दर 9.89% से गिरकर 9.67% हो गई।
ऋण वृद्धि भी एक चिंता का विषय बनी हुई है, जो जून 2024 के 19.1% से तेजी से गिरकर जून 2025 के मध्य में 9.6% पर आ गई थी।
गैर-ब्याज आय और संपत्ति की गुणवत्ता
मोतीलाल ओसवाल को उम्मीद है कि बेंचमार्क दरों में कमी के कारण सभी बैंकों की ऋण देने की यील्ड घटेगी, जबकि धन जुटाने की लागत में बदलाव कुछ समय बाद दिखेगा। उन्होंने कहा, " भले ही ज्यादातर बैंकों ने SA/TD दरों को कम कर दिया है, लेकिन धन जुटाने की लागत में कमी तुरंत नहीं होगी।"मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च ने शुद्ध ब्याज मार्जिन में 10 से 15 आधार अंक (bps) की कमी का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा, "वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में फरवरी और अप्रैल में हुई दर कटौती का पूरा प्रभाव नजर अन्य चाहिए। इसके अलावा, तमही आधार पर प्रणाली में व्यापक ऋण और जमा वृद्धि सपाट रही है।"
हालांकि, सरकारी प्रतिभूतियों (G-SEC) की यील्ड में गिरावट ये गैर-ब्याज आय को बढ़ावा मिल सकता है। आईआइएफएल सिक्योरिटीज ने बताया, "सरकारी प्रतिभूतियों में क्रमिक आधार पर 35-50 आधार अंक की गिरावट होने से कारोबारी लाभ मजबूत होने की उम्मीद है।"
विश्लेषकों को संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में उम्मीद है कि पहली तिमाही में बैंकों की नई चूकों का स्तर उच्च रह सकता है। इसका कारण असुरक्षित खुदरा ऋणों और माइक्रोफाइनेंस खंड में उच्च जोखिम है। येस सिक्योरिटीज ने प्रोविजनिंग में मिश्रित रुझान का अनुमान लगाया है, जबकि एसबीआई, आरबीएल बैंक और इंडसइंड बैंक वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में बफर बनाने के कारण कम वृद्धि दर्ज कर सकते हैं।"