भारतीय बैंकों में विदेशी निवेश के नए द्वार: RBI नियमों में ढील पर कर रहा विचार :

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारतीय बैंकों में विदेशी स्वामित्व को लेकर अपने सख्त नियमों में ढील देने पर विचार कर रहा है। यह कदम विदेशी संस्थाओं की अधिग्रहण में बढ़ती दिलचस्पी और भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक पूंजी की आवश्यकता को देखते हुए उठाया जा रहा है। पिछले महीने ही, RBI ने नियमों में ढील देते हुए जापान की सुमीतोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन को येस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी थी। इसके अलावा, दो विदेशी संस्थाएं IDBI बैंक में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भी होड़ में है। इन गतिविधियों से विदेशी स्वामित्व नियमों को आसान बनाने का दबाव बढ़ गया है, क्योंकि वर्तमान में भारत के नियम किसी भी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी सख्त हैं। 

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया था कि केन्द्रीय बैंक व्यापक समीक्षा के तहत बैंकों के शेयरहोल्डिंग और लाइसेंसिंग नियमों की जांच कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी बैंक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत के साथ सौदे करने के लिए उत्सुक हैं। खासकर भारत द्वारा किए जा रहे व्यापार समझौते को देखते हुए यह उत्साह और बढ़ गया है। इन समझौतों से एशिया के अन्य देशों और पश्चिम एशिया में वैश्विक कर्जदाताओं के लिए भारत में नए अवसर खुल सकते हैं।  

इंडियन बैंक एसोसिएशन के डिप्टी चेयरमैन माधव नायर ने कहा, "यह दिलचस्पी भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बाजार तक पहुँच बनाने से प्रेरित है। भारतीय नियामकों को यह चिंता है कि भारत बैंकिंग पूंजी जुटाने में अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है, जो तेज आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होगी। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस में एसोसिएट मनेजिंग डायरेक्टर अलका अंबरासु ने भी कहा कि भारत को मध्यम अवधि में अपनी बैंकिंग व्यवस्था के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा यह अच्छा तर्क हो सकता है की इसी वजह से  नियामक अंतरराष्ट्रीय कारोबारियों को बैंकिंग व्यवस्था में लाने पर विचार कर रहा है।