इंडसइंड बैंक: लेखांकन में चूक पर NFRA और अन्य वित्तीय निकायों की गहरी जाँच
इंडसइंड बैंक में कथित लेखांकन चूक और धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर अब की वित्तीय नियामक सक्रिय हो गए हैं। राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) इस मामले की तह तक जाने के लिए बैंक की ऑडिट रिपोर्ट मांगेगा,वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सेबी (SEBI) और भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (ICAI) भी अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं।
NFRA की जाँच का दायरा
NFRA को इंडसइंड बैंक में लेखांकन चूक की शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली के माध्यम से मिली थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार,NFRA अब बैंक की ग्रांट थॉर्नटन द्वारा तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा करेगा। इस रिपोर्ट के आधार पर ही यह ते किया जाएगा की मामले में आगे और गहन जांच की आवश्यकता है या नहीं।
NFRA, RBI के साथ भी समन्वय कर रहा है ताकि जांच में दोहराव न हो। RBI ने NFRA को पुष्टि की है कि फॉरेनसिक ऑडिट उसी के निर्देश पर कराया गया था।
बैंक का खुलासा और आंतरिक समीक्षा
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को बताया था की उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की शेष में कुछ गड़बड़ी है। बैंक की विस्तृत आंतरिक समीक्षा में सामने आया की दिसंबर 2024 तक उसकी नेट वर्थ पर 2.35% का असर पद सकता है। बैंक बोर्ड को संदेह है कि इस धोखाधड़ी में 'लेखा और वित्तीय रिपोर्टिंग में अहम भूमिका वाले कुछ कर्मचारियों का हाथ हो सकता है।"
ऑडिटर्स और नियामक कार्रवाई
- ऑडिटर्स की भूमिका : इंडसइंड बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए उसकी ऑडिटिंग एमेसकेए एंड एसोसिएट्स और एमपी चितले एंड कंपनी ने मिलकर की थी। NFRA सभी सूचीबद्ध संस्थाओं के ऑडिटरों की जांच कर सकता है।
- ICAI की समीक्षा: भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (ICAI) के बोर्ड ने 29 मई को फैसला किया है कि इंडसइंड बैंक के वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के वित्तीय विवरणों और वैधानिक ऑडिटर रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी। यदि अनुपालन में गंभीर खामी पी जाती है,तो मामला जांच के लिए उनके अनुशासन निवेशक के पास भेजा जाएगा।
सेबी की जांच : इंडसइंड बैंक के खुलासे के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी )ने भेदिया कारोबार(Insider Trading)की जांच शुरू की है। सेबी यह पता लगाना चाहता है कि डेरिवेटिव्स घाटे से जुड़ी अप्रकाशित जानकारी का इस्तेमाल कर शेयरों की खरीद-फरोख्त तो नहीं की गई। पिछले सप्ताह, सेबी ने बैंक के पूर्व उप मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) अरुण खुराना और पूर्व CEO सुमंत कठपालिया सहित 5 वरिष्ठ अधिकारियों को कथित भेदिया कारोबार से कमाए करीब ₹20 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था।
इस मामले में विभिन्न नियामक एजेंसियों की सक्रियता इंडसइंड बैंक पर दबाव बढ़ा सकती है, और आगे की जांच के नतीजे बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होंगे।