भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जो कभी मजबूत वृद्धि दर्ज कर रहा था, अब कुछ दबाव में दिखाई दे रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दो मई,2025 को समाप्त में देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 2.06 अरब डॉलर की कमी के साथ 686.06 अरब डॉलर पर आ गया है। यह गिरावट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि इससे ठीक एक सप्ताह पहले, यानी अप्रैल के अंतिम सप्ताह में इस भंडार में 1.98 अरब डॉलर की मामूली वृद्धि दर्ज की गयी थी और यह 688.13 अरब डॉलर पर पहुँच गया था। यदि हम पिछले कुछ महीनों के रुझान पर नजर डालें तो सितम्बर 2024 के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक एतिहासिक उचाई पर पहुँच गया था,जो की 704.89 अरब डॉलर था। इस स्तर से तुलना करें तो वर्तमान भंडार में लगभग 18.83 अरब डॉलर की कमी आई  है।

विदेशी मुद्रा भंडार के विभिन्न घटकों की बात करें तो, दो मई को समाप्त सप्ताह में सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में 51.4 करोड़ डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई और यह 581.18 अरब डॉलर पर पहुंच गईं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विदेशी मुद्रा आस्तियों में केवल अमेरिकी डॉलर ही शामिल नहीं होता, बल्कि इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य प्रमुख गैर-अमेरिकी मुद्राएं भी शामिल होती हैं, और डॉलर के संदर्भ में इनका मूल्य इन मुद्राओं की विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है।

हालांकि,विदेशी मुद्रा आस्तियों में हुई इस मामूली वृद्धि की भरपाई अन्य घटकों में आई गिरावट से हो गई । समीक्षाधीन सप्ताह में, भारत के स्वर्ण के मूल्य में उल्लेखनीय कमी आई, जो 2.54 अरब डॉलर घटकर 81.82 अरब डॉलर रह गया। इसके अतिरिक्त, विशेष आहरण अधिकार जो अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्मित एक अंतराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति भी 3करोड़ डॉलर घटकर 18.56 अरब डॉलर पर आ गया है। 

अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास भारत का आरक्षित भंडार भी इस सप्ताह में मामूली रूप से कम हुआ। केंद्रीय बैंक के आकड़ों के अनुसार, यह 30लाख डॉलर घटकर 4.51 अरब डॉलर रह गया कुल मिलकर 2 मई को इस सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह गिरावट विभिन्न कारकों का परिणाम है, जिसमें स्वर्ण भंडार के मूल्य में कमी मुख्य रूप से शामिल है। जबकि विदेशी मुद्रा आस्तियों में कुछ वृद्धि हुई, यह अन्य घटकों में आई गिरावट को पूरी तरह से ऑफसेट नहीं कर सकी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार की गति क्या रहती है, खासकर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और मुद्रा विनिमय दरों में होने वाले परिवर्तनों के संदर्भ में।