सरकारी बैंकों की जमा में तेज़ी, प्राइवेट बैंक पिछड़े; जानें नए आंकड़े

एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि साल 2022 से 2024 के बीच सर्वजसनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने जमा परिपत्र (CD) जारी करने में अपनी हिस्सेदारी काफी बढ़ा दी है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों (PVB) कि हिस्सेदारी में गिरावट आई है। यह ट्रेंड बैंकों कि बढ़ती लोन डिमांड और नगदी की कमी को दूर करने की जरूरत को दर्शाता है। 

पब्लिक सेक्टर बैंकों का दबदबा बढ़ा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की बुलेटिन रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 में पीएसबी कि सीडी जारी करने की हिस्सेदारी तेजी से बढ़कर 69% हो गई है, जो 2022 में सिर्फ 65 थी। वहीं, इसी अवधि में पीवीबी कि हिस्सेदारी 85% से घटकर 30% रह गई है। 

यह आँकड़े उस आम धारणा के उलट हैं कि निजी बैंक अपनी चालू और बचत खाता (CACA) जमा को पूरा करने के लिए ज्यादातर सीडी जारी  करते हैं। रिपोर्ट बताती है कि म्यूचुअल फंड सीडी में मुख्य निवेशक बने हुए हैं, जिसे इक्विटी बाजारों में बढ़ती खुदरा भागीदारी से सहारा मिला है।

 क्यों बढ़ी सीडी जारी करने की होड़?

बैंकों को अपनी जमा वृद्धि से ज्यादा हासिल करने और नगदी कि तंगी से निपटने के लिए ग्रोथ कि जरूरत थी, इसलिए उन्होंने ज्यादा सीडी जारी किए हैं। वित्तीय वर्ष 2025 कि चौथी तिमाही में सीडी जारी करना रिकॉर्ड ₹3.70 लाख करोड़ तक पहुँच गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के दौरान, मजबूत लोन डिमांड, नगदी कि कमी और धीमी जमा वृद्धि के चलते सीडी जारी करने कि मात्र ₹3.70 लाख करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गई। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि छोटे वित्त बैंकों (SFB) को अपेक्षाकृत ज्यादा दरें देनी पड़ी, जबकि पीएसबी ज्यादा प्रतिस्पर्धी दरों पर धन जुटाने में कामयाब रहे। 

अप्रैल 2022 से सीडी जारी करने कि मात्रा लगातार बढ़ रही है, जो मार्च 2025 में ₹1.17 लाख करोड़ तक पहुँच गई। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान कुल बकाया सीडी जारी करने कि मात्रा रिकॉर्ड ₹11.75 लाख करोड़ पर पहुँच गई है। 

यह ट्रेंड भारतीय बैंकिंग सेक्टर में नगदी प्रबंधन और फंडिंग रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।