RBI MPC का बड़ा फैसला: रेपो रेट घटा, CRR में कटौती से ₹2.5 लाख करोड़ की लिक्विडिटी; जानिए आम आदमी पर क्या होगा असर

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जून 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में कई अहम ऐलान किए हैं,जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब और बैंक की तरलता (लिक्विडिटी) पर पड़ेगा। RBI ने प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती करते हुए CRR में भी बड़ी कमी की है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी आएगी।

रेपो रेट में कटौती: आपकी EMI होगी कम!

RBI ने रपो रेट में 0.50% की कटौती की है,जिससे यह अब 5.5% हो गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि बैंकों को अब RBI से सस्ता कर्ज मिलेगा। उम्मीद है कि बैंक इस कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे, जिससे होम लोन, कर लोंन और अन्य कर्जों की EMI काम हो सकती है। 

अन्य नीतिगत दरें भी बदली गई हैं:

  • SDF (स्टैंडिंग डिपॉजिट फ़ैसिलिटी )रेट:5.25%
  • बैंक रेट और MSF (मार्जिनल स्टैंडिंग फ़ैसिलिटी )रेट :5.75%

    CRR में कटौती: बैंकों को मिलेंगे ₹2.5 लाख करोड़, बढ़ेंगे लोन!

    यह बैठक का एक और बड़ा फैसला है। RBI ने कैश रिजर्व रेश्यों (CRR) को 4% से घटाकर 3% कर दिया है। यह कटौती चार चरणों में लागू होगी: 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से इस एक फीसदी की कटौती से बैंकों को कुल ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नगदी मिलेगी। 

    इससे क्या होगा?

  • बैंकों के पास ज्यादा पैसा होगा जिसे वे कर्ज के रूप में दे सकते हैं। 
  • बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी।
  • लोन की ब्याज दरें और काम होने की संभावना है। 

    RBI का बदला रुख: 'न्यूट्रल' का मतलब क्या है?

    पिछले कुछ महीनों में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती के बाद,RBIने अब अपने नीतिगत रुख को 'अकोमोडेटिव' (Accommodative) से बदलकर 'न्यूट्रल' (Neutral) कर दिया है।

    पहले 'अकोमोडेटिव' रुख का मतलब था कि RBI ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए आगे भी ब्याज दरें घटाने को तैयार था। अब न्यूट्रल का अर्थ है कि आरबीआई हर बार नए आर्थिक आंकड़ों को देखने के बाद ही यह तय करेगा कि ब्याज दरें घटानी है या बढ़ानी है। एमके ग्लोबल की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार,आरबीआई ने अपने हिस्से के फैसले ले लिए हैं,अब बैंकों की बारी है कि वे इस आसान कर्ज को आम लोगों तक पहुचाएं । 

    महंगाई घटी, ग्रोथ का अनुमान बरकरार 

    गवर्नर ने बताया कि महंगाई दर अब आरबीआई के निर्धारित टॉलरेंस बैंड (2-6%) से काफी नीचे आ गई है। अक्टूबर 2024 में जहां महंगाई 6% से ऊपर थी, वहीं अब यह घटाकर 3.2% रह गई है। इसके चलते, चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CPI महंगाई का औसत अनुमान पहले के 4% से घटाकर 3.7% कर दिया गया है। यह राहत खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी और अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी प्राइसेज में गिरावट की वजह से आई है। 

    वैश्विक अर्थव्यवस्था में थोड़ी कमजोरी के बावजूद,आरबीआई को भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि पर भरोसा है। आरबीआई ने कहा है कि साल 2025-26 में देश की DGP ग्रोथ 6.5% के आसपास रह सकती है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जोर दिया कि हालांकि हालत ठीक हैं, फिर भी देश में लोगों की खरीदारी और कंपनियों के निवेश को बढ़ाना जरूरी है।