विदेश पैसे भेजने पर RBI की पैनी नजर: LRS योजना की समीक्षा शुरू, अब होंगे ये बदलाव!
अगर आप विदेश में पैसा भेजते है चाहे बच्चों की पढ़ाई,घूमने के लिए या निवेश के लिए तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उदारीकृत धनप्रेषण योजना (LRS) की समीक्षा शुरू कर दी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक नियमित प्रकिया है ताकि इस योजना को मौजूदा आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थितियों के अनुसार अपडेट किया जा सके।
क्या है LRS और क्यों हो रही है समीक्षा?
LRS योजना 2004 में शुरू की गई थी,जिसके तहत भारतीय नागरिक एक वित्त वर्ष में बिना किसी शुल्क के 25,000 डॉलर तक विदेश भेज सकते थे। 2015 में इस सीमा को बढ़ाकर 2,50,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपये) कर दिया गया था। आरबीआई ने हाल ही में अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा की वे LRS के विभिन्न पहलुओं ,जैसे पैसा भेजने की वार्षिक सीमा, किन उद्देश्यों के लिए भेजा जा सकता है, लेनदेन के तरीके और मुद्रा विकल्प सभी की जांच कर रहे हैं।
खेतान एंड कंपनी के पार्टनर मोइन लाढा का कहना है की आज के बदलते आर्थिक माहौल, पूंजी के प्रवाह और डिजिटल संपतियों (जैसे क्रिप्टो )के बढ़ते चलन को देखते हुए इस ढांचे की समीक्षा बेहद जरूरी है। अब जब विदेश भेज जाने वाला पैसा पैन कार्ड से जुड़ गया है, तो RBI यह भी सुनिश्चित करना चाहते है की यह पैसा व्यक्ति के वित्तीय प्रोफाइल और टैक्स नियमों के अनुरूप हो ताकि किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोक जा सके।
क्या कम हो गए हैं विदेश भेजे जाने वाले पैसे?
ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में LRS के तहत भारत से विदेश भेजें जाने वाले धन में थोड़ी कमी आई है। यह 6.85% गिरकर 29.56 अरब डॉलर रह गया है,जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 31.73 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुँच गया था।
RBI ने हाल ही में क्या आसानियाँ की हैं?
अपनी सालाना रिपोर्ट में RBI ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में उन्होंने LRS की प्रक्रिया को और आसान बनाया है ताकि भारतीय व्यक्तियों को सुविधा मिल सके:
आनलाइन सुविधा: 3 जुलाई 2024 से अब आप फॉर्म A-2 को ऑनलाइन या फिजिकली जमा करके आसानी से पैसा भेज सकते हैं,भले ही रकम कितनी भी हो।
IFSC को पैसा भेजना आसान: 10 जुलाई 2024 से, भारतीय अब किसी भी स्वीकार्य लेनदेन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC) को पैसा भेज सकते हैं। पहले यह सुविधा केवल सिक्योरिटीज में निवेश तक सीमित थी, जिसे बाद में IFSC में विदेशी विश्वविद्यालयों की शिक्षा फीस के भुगतान के लिए भी बढ़ाया गया था।
IFSC खातों में पैसा रखना :अब व्यक्तियों को IFSC आधारित विदेशी मुद्रा खातों में भी पैसा रखने कियानुमाती है, जिसका उपयोग वे अन्य विदेशी लेनदेन के लिए भी कर सकते हैं।
क्या सीमा में बदलाव होगा?
एक अन्य विशेषज्ञ का मानना है कि विदेश में शिक्षा और सामान्य महंगाई को देखते हुए LRS सीमा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। यह समीक्षा RBI के बदलते हालात के साथ तालमेल बिठाने और समय-समय पर आकलन का एक हिस्सा है।