आरबीआई के नए प्रोजेक्ट फाइनेंस नियमों पर बैंक आपत्ति जता रहे हैं, खासकर MSME और छोटी परियोजनाओं के लिए बैंकों का कहना है कि ये नियम सभी परियोजनाओं पर एक जैसे लागू हो रहे हैं, जबकि हर प्रोजेक्ट का जोखिम अलग होता है।
बैंकों की मुख्य चिंताएं
- उच्च प्रावधान: RBI ने 19 जून को नए दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिनके तहत सभी नई परियोजनाओं के लिए सामान्य प्रावधान 0.4% से बढ़ाकर 1% कर दिया गया है। वाणिज्यिक रियल एस्टेट परियोजना (आवासीय को छोड़कर) पर तो 1.25% का प्रावधान लागू होगा। ये नियम 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होंगे।
- MSME और छोटी परियोजनाओं पर असर: बैंकों का कहना है कि ₹100 करोड़ तक के कुल ऋण वाली MSME और छोटी आवासीय परियोजनाओं को इन नियमों से छूट मिलनी चाहिए। एक वरिष्ट बैंक अधिकारी के अनुसार, सभी परियोजनाओं पर एक ही नियम लागू करने से अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में ऋण वितरण कि गति धीमी हो सकती है।
- जोखिम मूल्यांकन में कमी: क्रिसिल रेटिंग्स ने भी इस पर अपनी राय दी है। उनका कहना है कि प्रावधान से जुड़ी आवश्यकताएं व्यक्तिगत परियोजनाओं कि जोखिम वहन करने कि क्षमता के अनुसार निर्धारित नहीं कि गई हैं। यानी, विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होने के बावजूद सभी पर एक समान प्रावधान लागू किये जा रहे हैं। जो कंपनियों के क्रेडिट जोखिम प्रोफाइल से जुड़े मौजूदा पूंजी आवश्यकताओं से अलग हैं।
लागत बढ़ने का अनुमान
केयर एज रेटिंग्स का अनुमान है कि RBI के इन नए निर्देशों के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों कि ऋण पर लागत 7-10 आधार अंक बढ़ जाएगी, जबकि निजी बैंकों के मामले में यह असर 3-5 आधार अंक रह सकता है। इस बढ़ी हुई लागत से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन जुटाना महंगा हो सकता है।
बैंक अब आरबीआई के साथ बैठक कि योजना बना रहे हैं ताकि इन मुद्दों पर चर्चा कि जा सके और MSME व छोटी परियोजनाओं के लिए नियमों में कुछ ढील मिल सके।