भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को ₹2.50 लाख करोड़ से ज्यादा का रिकार्ड डिविडेंड ट्रान्सफर करने ऐलान किया है। यह बीते साल के ₹2.11 लाख करोड़ से 27.4% ज्यादा है। एसबीआई कि ताजा इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार यह बड़ा सरप्लस मजबूत विदेशी मुद्रा बिक्री, ऊंचे फारेक्स गेन और ब्याज आय में वृद्धि के कारण आया है। इस राशि से भारत के राजकोषीय घाटे में कमी आने और सरकारी खर्च को समर्थन मिलने कि उम्मीद है। 

राजकोषीय घाटा घटकर GDP के 4.2% तक आने की उम्मीद:

केंद्रीय बजट में आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र कि वित्तीय संस्थाओं से कुल ₹2.56 लाख करोड़ का डिविडेंड मिलने का अनुमान था। आरबीआई के इस बढ़े ट्रान्सफर से वास्तविक प्राप्ति इस अनुमान से काफी ज्यादा होगी। एसबीआई में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार,सौम्य कांति घोष ने कहा हमारा अनुमान है कि इससे या तो राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से 20 से 30 बेसिस पॉइंट घटकर GDP के 4.2% तक आ सकता है,या फिर सरकार को लगभग ₹70,000 करोड़ अतिरिक्त खर्च करने कि गुंजाइश मिल सकती है।  

डॉलर बिक्री और बढ़ी आय से सरप्लस में उछाल:

RBI की आक्रामक फॉरेक्स बिक्री—जो वित्त वर्ष 2024-25 में 371.6 अरब डॉलर रही (पिछले साल 153 अरब डॉलर थी)—के साथ-साथ मार्क-टू-मार्केट गेन और घरेलू ब्याज आय में वृद्धि ने सरप्लस बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब डॉलर के रिकॉर्ड शिखर पर पहुँच गया था, और जनवरी 2025 में RBI ने रुपये को स्थिर करने के लिए एशियाई केंद्रीय बैंकों में सबसे ज़्यादा डॉलर बेचे।

RBI की बैलेंस शीट पर क्या होगा प्रभाव?

रिपोर्ट में बताया गया है कि जून से दिसंबर 2024 तक RBI अपनी लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फ़ैसिलिटी (LAF) के जरिए एब्जॉर्प्शन मोड में था, जिसके बाद मार्च 2025 तक सिस्टम लिक्विडिटी इंजेक्शन मोड में चला गया। इस अवधि के दौरान औसत लिक्विडिटी डेफिसिट ₹1.7 लाख करोड़ रहा।

मई 2025 के अंत तक कोर लिक्विडिटी ₹4.95 लाख करोड़ तक पाहुचने का अनुमान है, जिसे करेंसी निकासी, ओपन मार्केट ऑपरेशन(OMO) और बड़े डिविडेंड ट्रान्सफर से सहारा मिलेगा। वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान स्थायी लिक्विडिटी के सरप्लस मे बने रहने कि संभावना है जिसे 25-30अरब डॉलर के भुगतान संतुलन (BoB) सरप्लस जैसे अन्य कारक भी सहयोग देंगे। 

RBI का यह रिकार्ड डिविडेंड केंद्र सरकार कि वित्तीय स्थिति को मजबूती देने के साथ साथ वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच बांड यील्ड को संतुलित कर बाजार में स्थिरता ला सकता है। एसबीआई रिसर्च का मानना है कि इस ट्रांसफ़र से बनी मजबूत लिक्विडिटी बफर सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 में अपने वित्तीय और आर्थिक लक्ष्यों को संभालने के लिए जरूरी लचीलापन प्रदान करेगी।